रीवा

School Education Department के जिला दफ्तर से जुड़े न्यायालयीन प्रकरण में High Court Order, एसपी रीवा करेंगे दस्तावेजों की सत्यता की जांच

किसी भी अधिकारी को नहीं सौंपेगे अपनी शक्ति

रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग रीवा के जिला दफ्तर से जुड़े एक न्यायालयीन प्रकरण में हाईकोर्ट ने एसपी रीवा को व्यक्तिशः जांच करने के निर्देश दिये हैं। न्यायालय ने संबंधित मामले में दस्तावेजों की सत्यता को गंभीर संदेह में बताते हुए पुलिस अधीक्षक रीवा को जांच करने के लिये निर्देशित किया है।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच पुलिस अधीक्षक रीवा द्वारा स्वयं की जायेगी और किसी भी परिस्थिति में वे अपने किसी भी अधिकारी यहां तक कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को भी अपनी शक्ति नहीं सौंपेंगे। दरअसल यह मामला सूचना कानून के तहत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रीवा से संबंधित एक जानकारी से जुड़ा हुआ है।

खबर है कि प्रचलित एक जांच के परिपेक्ष्य में आरटीआई के माध्यम से संबंधित कर्मचारी द्वारा डीईओ आफिस से जानकारी वर्ष 2010 में चाही गई थी। तत्कालीन डीईओ ने आवेदक को अपेक्षित जानकारी उपलब्ध करा दी थी। आरटीआई में प्रदत्त दस्तावेजों के आधार पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर है। इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी रीवा को दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के लिए तलब किया गया।

उन्होंने दस्तावेजों के अध्ययन उपरांत कोर्ट में इस आशय का हलफनामा पेश किया है कि संबंधित दस्तावेज कभी भी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जारी नहीं किये गये थे। बताया जा रहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने न्यायालय में प्रस्तुत हलफनामे में कहा है कि जो दस्तावेज रिट याचिका के साथ दायर किये गये हैं वे कभी भी आरटीआई के तहत जारी नहीं किये गये थे क्योंकि उनमें लोक सूचना अधिकारी का समर्थन शामिल नहीं है।

चार बिंदुओं पर होगा जांच का फोकस
उच्च न्यायालय ने बमुश्किल एक सप्ताह पूर्व संबंधित मामले में एसपी रीवा को जांच करने का हुक्म दिया है तथा किन बिंदुओं पर जांच केन्द्रित होगी उनको भी न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है। याचिकाकर्ता ने आरटीआई एक्ट के तहत कोई आवेदन किया था और याचिकाकर्ता को कवर लेटर द्वारा दस्तावेज जारी किये गये थे या नहीं, कवरिंग लेटर दिनांक 16 अक्टूबर 2010 से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध है या नहीं, कवरिंग लेटर तथा आईए के साथ दाखिल दस्तावेजों पर किसने हस्ताक्षर किये हैं, एसपी रीवा की जांच का फोकस इन प्रमुख बिंदुओं पर होगा। उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया है कि आवश्यक होने पर पुलिस अधीक्षक रीवा दस्तावेजों को तुलना के लिए हस्तलेखन विशेषज्ञ के पास भेजेंगे।

न्यायालय ने कहा है कि यदि प्रश्वाचक हस्तलेखन विशेषज्ञ को भेजे दस्तावेज जाते हैं तो हस्तलेखन विशेषज्ञ दस्तावेजों की प्राप्ति की तिथि से 15 दिनों के अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट देंगे। संभवत: मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2024 में नियत है। विदित हो कि हाईकोर्ट ने संबंधित प्रकरण में एसपी रीवा को जांच करने का आदेश जारी किया है, इस बात की चर्चा शिक्षा विभाग में जोरों से हो रही है। कोई याचिकाकर्ता के पक्ष तो कोई जिला शिक्षा अधिकारी के पक्ष को लेकर सशंकित है। जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। न्यायालयीन आदेश से एक बात तो शीशे की तरह साफ है कि एसपी रीवा की जांच में जिसका भी पक्ष असत्य एवं झूठा पाया जायेगा, उसकी खैर नहीं होगी?

यहां कुछ भी संभव है
रीवा जिले का डीईओ आफिस कैसा, यह बात शायद ही किसी से छिपी हो? स्कूल शिक्षा विभाग की व्यवस्था में भ्रष्टाचार के करोड़ों छेद करने का रिकॉर्ड इस दफ्तर में बैठने वालों के नाम है। पूर्व के कितने मामले ठंडे बस्ते में डाल दिये गये उनको छोड़ भी दिया जाय तो भ्रष्ट अनियमितताओं के कई मामले कार्यालय की मुंडेर चढ़ चिल्ला रहे हैं। करोड़ों का अनुदान एवं सामग्री खरीदी घोटाला विभाग की पीठ पर बेताल की तरह गठरी बना बैठा हुआ है। जिस प्रकरण में हाईकोर्ट ने एसपी रीवा को व्यक्तिगत तौर पर जांच की जिम्मेदारी सौंपी है, क्या पता प्रकरण संबंधी रिकॉर्ड आफिस से गायब कर दिये गये हों? इस दफ्तर में कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

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