रीवाक्राइममध्य प्रदेश

PWD: संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय रीवा की छत में टीनशेड का पता नहीं और ठेकेदार को हो गया दो करोड़ का भुगतान

रीवा: ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) भोपाल में दो वर्ष से ललंबित शिकायती प्रकरण का निराकरण नहीं हो पा रहा है। मामला पीडब्ल्यूडी संभाग क्र. 1 रीवा के होनहार अधिकारियों द्वारा बिना कार्य कराये ठेकेदार को लगभग दो करोड़ के भुगतान का है। संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय रीवा की छत में टीनशेड के निर्माण के नाम पर की गई व्यापक धांधली का आरोप पीडब्ल्यूडी संभाग क्र.1 रीवा के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के. के. गर्ग पर लगाते हुये डीईओडब्ल्यू में एक शिकायती आवेदन 21 जुलाई 2022 प्रस्तुत किया गया था। शिकायतकर्ता द्वारा कार्यपालन यंत्री (तत्कालीन) को आरोपों के कठघरे में खड़ा करते हुये जांच कराने की मांग की गई थी।

  • ईओडब्ल्यू में दर्ज है शिकायत जांच के लिये दस्तावेज देने में कार्यपालन यंत्री का फूल रहा दम
  • एक साल से कुआं झंका रहे ईई पीडब्ल्यूडी संभाग क्र.1
  • रिश्तेदारी की ठेकेदारी कर रहे प्रभारी एसडीओ

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत क्रमांक 4308/22 दर्ज है। उसी शिकायती आवेदन के मद्देनजर ईओडब्ल्यू भोपाल द्वारा मामला जांच के लिये प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग की ओर अग्रेषित कर दिया गया था। उसके बाद शिकायती मामला अपर सचिव, प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता की टेबिल से होता हुआ अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग रीवा मण्डल रीवा तक पहुंच गया। जांच की समयसीमा बमुश्किल 15 दिवस निर्धारित थी जो दो वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सकी है। एक वर्ष से अधिक समय से अधीक्षण यंत्री जांच में वांछित दस्तावेज की प्राप्ति के लिये कागजी कसरत कर रहे हैं किन्तु नतीजा भाग न जाये लब्धे शून्य है। अधीक्षण यंत्री 2022 में ईओडब्ल्यू भोपाल में दर्ज शिकायत के परिपेक्ष्य सचिव, प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता सहित अधीक्षण यंत्री कार्यालय से जारी संदर्भित पत्रों का हवाला देते हुये कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक 1 रीवा से जांच में जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिये कह रहे हैं।

वरिष्ठ कार्यालय को नहीं दे रहे भाव
सूत्रों की मानें तो अधीक्षण यंत्री रीवा मंडल ने पूर्व के 16 संदर्भित पत्रों का उल्लेख करते हुये कार्यपालन यंत्री को एक बार पुनः पत्र लिखा है जिसे उन्होंने अंतिम स्मरण पत्र (रिमाइंडर) करार देते हुये चेताया है कि यदि 3 दिवस के अंदर अपेक्षित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये जाने की दशा में विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिये वरिष्ठ कार्यालय की और लेख किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार पहले कार्यपालन यंत्री की कुर्सी पर के. के. गर्ग थे जिनके खिलाफ शिकायत है, वे अभिलेख उपलब्ध कराने में टालमटोल करते रहे और अब वरिष्ठ अधिकारी को कुआं झंकाने का काम मौजूदा कार्यपालन यंत्री कर रहे हैं। कार्यपालन यंत्री एम.के. द्विवेदी के संबंध में बताया जा रहा है कि ये साहब पूर्व कार्यपालन यंत्री के अढ़वा चाकर की तरह विराजमान हैं। जितना उनको निर्देश प्राप्त होता है उतना ही वे कार्य करते हैं। चूंकि सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री प्रत्यक्ष रूप से विभागीय कोई कार्य कर नहीं सकते हैं लिहाजा उनकी भूमिका का निर्वाह प्रभारी एसडीओर ओंकारनाथ मिश्रा कर रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि कार्यपालन यंत्री बेशक श्री द्विवेदी हैं लेकिन कुछ भी निर्णय लेने से पूर्व मशविरा की घुट्टी प्रभारी एसडीओ से लेते हैं।

शासन को 198.50 लाख की क्षति
ईओडब्ल्यू में पहुंचे शिकायती मामले पर दृष्टिपात किया जाय तो संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय रीवा की छत पर टीनशेड के निर्माण कार्य के लिये पीडब्ल्यूडी संभाग क्र.1 रीवा कार्यालय द्वारा संविदाकार मेसर्स एन.के.पी. कांन्स्ट्रक्शन कटनी से अनुबंध (क्रमांक 50/रीवा/2021-22 दिनांक 21 जुलाई 22) किया गया था। अस्पताल की छत से पानी टपकने के कारण टीनशेड निर्माण के लिये अनुबंध किया गया था। संविदाकार द्वारा कोई कार्य मौके पर नहीं कराया गया, बावजूद उसके भी 190.50 लाख रुपये का भुगतान हो गया। सूत्र बताते हैं कि लगभग 2 करोड़ के भुगतान का खेला प्रभारी एसडीओ के दस्तखत पर ही हुआ है। गुरू-चेता दोनों की गर्दन इस मामले में फंसी हुई है। गुरू का रिटायरमेंट हो चुका है। यदि शिकायती आरोप निराधार होता तो जांच के लिये वाछित दस्तावेज उपलब्ध कराने में कार्यपालन यंत्री का दम क्यों फूल रहा है? जाहिर है कार्यपालन यंत्री द्विवेदी किसी भारी भरकम दबाव के कारण विभाग का सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। अधीक्षण यंत्री रीवा मंडल भी रिटायरमेंट के मुहाने पर खड़े हैं। प्रतीत होता है कि एसई श्रीवास्तव बिना दस्तावेज हासिल किये ही सेवानिवृत्त हो जायेंगे? उनके बाद जो अधिकारी आयेगा उसको यही कवायद करना होगा।

शिकायत दर्ज होते ही बदल गया रजिस्ट्रेशन
फिलहाल सत्यता की पुष्टि तो नहीं हुई है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि जिस ठेका कंपनी एन.के.पी. कान्स्ट्रक्शन कटनी से एसजीएमएच रीवा की छत में टीनशेड निर्माण का अनुबंध किया गया था और उसे बिना कार्य के ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया उसने ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज होने के साथ ही अपना रजिस्ट्रेशन दूसरे नाम से करा लिया है और पीडब्ल्यूडी में ठेका कंपनी परस्पर व्यवसाय कर रही है। बताया जा रहा है कि प्रभारी एसडीओ ओंकारनाथ मिश्रा का कोई करीबी रिश्तेदार है जिसने कटनी के रजिस्ट्रेशन पर अनुबंध किया था किन्तु ईओडब्ल्यू जांच के खौफ के चलते उसने दूसरा रजिस्ट्रेशन करा लिया है। रिश्तेदारी की ठेकेदारी में किसी अम्बुज तिवारी के नाम की चर्चा पीडब्ल्यूडी दफ्तर से लेकर ईओडब्ल्यू भोपाल तक है। अम्बुज तिवारी कौन है और प्रभारी एसडीओ से उसका क्या नाता है, प्रभारी एसडीओ उस पर मेहरबानी का कलश क्यों छलका रहे हैं? सुनने में यह आ रहा है कि अम्बुज तिवारी सिर्फ मुखौटा है. ठेकेदारी का सारा गुणाभाग प्रभारी एसडीओ द्वारा किया जा रहा है। अभी तो जांच का श्रीगणेश ही नहीं हुआ, जांच के बाद ही वास्तविकता का खुलासा होगा।

  • क्या कहना है इनका…..
    ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायती मामले की जांच के लिये वाछित दस्तावेज अभी तक कार्यपालन यंत्री द्वारा उपलब्ध नहीं कराये गये हैं।
    राजीव श्रीवास्तव, अधीक्षण यंत्री पीडब्ल्यूडी सेवा मंडल रीवा

Surendra Tiwari

I am Surendra Tiwari, Editor of the Vindhya Bhaskar. I am writing on Automobile and Tech Content from Last 5 years.

Related Articles

Back to top button