WOMAN POWER: महिला भागीदारी 50 फीसदी तक बढ़े, पीएम आवास योजना के 70% घर महिला के नाम
जेंडर बजट बढ़कर कुल खर्च का 6.5%, यह अब तक का सबसे अधिक
Woman Power। जेंडर पहले बजट दो हिस्सों में होता है। हिस्से में वे योजना आती हैं, जो 100 फीसदी महिलाओं के लिए हैं, दूसरे हिस्से में वे सभी योजनाएं शामिल हैं जहां कम से कम 30 प्रतिशत प्रावधान महिला-केंद्रित हैं। यानी इसमें केंद्र की कुछ प्रमुख योजनाएं भी शामिल हैं। जैसे 54,500 करोड़ रु. आवंटन वाली ग्रामीण आवास वाली प्रधानमंत्री आवास योजना, 34, 162.32 करोड़ रु. आवंटन वाली जल जीवन मिशन योजना और 29,000 करोड़ रु. आवंटन वाली मनरेगा योजना।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की चेयरपर्सन और प्रोफेसर लेखा चक्रबर्ती के मुताबिक, ‘मुख्यधारा के खर्च को लैंगिक लेंस से देखना अहम है। अन्यथा यह महज महिला केंद्रित योजना तक ही सीमित हो सकता है, जो कि बजट का बमुश्किल 1% है। यह संतोषजनक नहीं है।’ फेम फर्स्ट फाउंडेशन की संस्थापक एंजेलिका अरिबाम के मुताबिक, ‘सरकार जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है उनमें श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी को 50% तक बढ़ाने की पहल, नए माता-पिता के लिए चाइल्डकेयर सुविधाएं बनाने के लिए।
निजी कंपनियों को मदद देना, अतिरिक्त टैक्स लाभ देकर महिला उद्यमियों और कर्मचारियों की सैलरी के अंतर को कम करना शामिल है।’
पीएम आवास योजना के 70% घर महिला के नाम
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण 2019-20 से पद पर हैं। वे देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं और सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाली पहली महिला वित्त मंत्री भी हैं। उन्होंने संसद में घोषणा की है कि महिलाओं का कल्याण और आकांक्षाएं सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। महिला उद्यमियों को लगभग 30 करोड़ मुद्रा लोन दिए गए हैं और पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 70 प्रतिशत से अधिक घर महिलाओं को एकल या संयुक्त मालिकाना हक के रूप में दिए गए हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 में जेंडर बजट पर सरकार का खर्च अब तक का सबसे अधिक होगा। इस अंतरिम बजट में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं और प्रोग्राम के लिए 3.1 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में यह राशि 2.2 लाख करोड़ रुपए थी। आवंटन में इस बढ़ोतरी के साथ जेंडर बजट अब केंद्र के कुल खर्च का 6.5% है, जो अब तक का सर्वाधिक आवंटन है। दो दशकों में यह औसतन 4.8% रहा है। 2023-24 के संशोधित अनुमान के अनुसार, सरकार जेंडर बजट को 116.5% से अधिक बढ़ाकर 2.6 लाख करोड़ से अधिक खर्च कर सकती है।
2005-06 में शुरू हुआ, तब यह 2.3 फीसदी था
भारत में जेंडर बजट 2005-06 में शुरू हुआ था। तब यह कुल खर्च का 2.3% था। यह खास तौर पर बजट को लिंग आधारित लेंस से देखने और यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था कि विकास के लाभों से महिलाएं न न छूटें। । यह महिलाओं के लिए अलग बजट बनाना नहीं है, बल्कि इसमें महिलाओं की विशिष्ट जरूरतों पर ध्यान दिया जाता है। हालांकि जेंडर बजट देश की जीडीपी के एक प्रतिशत से कम ही रहा है।