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MP : कर्मचारीयों को पेशन नही और पूर्व विधायकों को कम पड़ रही पेंशन

विंध्य भास्कर ऑन लाइन डेस्क। पूर्व विधायकों ने वेतन-भत्ते बढ़ाने की मांग दोहराई है। 35 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन से उनका खर्च पूरा नहीं हो पा रहा। वे दोगुनी पेंशन चाहते हैं। शनिवार को विधानसभा सभागार में पूर्व विधायक स्नेह सम्मेलन में पूर्व विधायकों ने पेंशन, भत्ते सहित अन्य सुविधाएं बढ़ाने की मांग उठाई। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने मांगों के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा कि 60 हजार रुपए पेंशन की सिफारिश की है। भरोसा दिलाया है कि सीएम से मुलाकात के दौरान मांग पूरी करने का आग्रह करेंगे।

विधायकों और पूर्व विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं को खंगाला तो पता चला सूबे में एक बार विधायक बनने के बाद माननीयों के मजे ही मजे हैं। वे दोहरी-तिहरी पेंशन की पात्रता रखते हैं, जबकि राज्य के कर्मचारियों को पेंशन की पात्रता समाप्त हो गई है। 2005 के बाद नियुक्त कर्मियों को पेंशन नहीं है। वे पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं।

ऐसा है नियम: राज्य के सरकारी कर्मचारियों को केवल एक बार पेंशन की पात्रता होती है। रिटायर अधिकारी-कर्मचारी यदि पेंशन प्राप्त कर रहा है और सरकार में संविदा सहित अन्य नियुक्ति होती है तो वेतन में पेंशन राशि कटने के बाद मिलता है, लेकिन विधायक-सांसदों के मामले में ऐसा नहीं है। विधायक यदि सांसद बनजाता है तो उसे विधायक की पेंशन मिलेगी और सांसद के तौर पर वेतन लेता रहेगा। पूर्व विधायक और पूर्व सांसद हैं तो वह दोनों की पेंशन का हकदार होता है। रिटायरमेंट के बाद वह चुनाव जीतकर संसद या विधानसभा पहुंचता है तो सरकारी सेवा की पेंशन के साथ ही विधायक, सांसद के तौर पर वेतन भी पाने का हकदार होता है। ऐसा शायद इसलिए भी होता है क्योंकि ये अपने वेतन-भत्ते स्वयं तय करते हैं।

पूर्व विधायकों को सुविधाएं
20 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन
15 हजार रु. प्रतिमाह चिकित्सा भत्ता, सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज की सुविधा
ट्रेन के एसी सेकंड क्लास में दो लोगोें को नि:शुल्क यात्रा सुविधा
18 हजार रुपए प्रतिमाह परिवार पेंशन (प्रतिवर्ष 500 की वृद्धि)

पंजाब में सिर्फ एक पेंशन
विधायकों को वेतन-भत्ते, पेंशन और सुविधाओं के मामले पंजाब राज्य आदर्श माना जा सकता है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने निर्णय लिया है कि विधायकों को सिर्फ एक कार्यकाल की ही पेंशन ही मिलेगी। चाहे वे कितनी भी बार चुनाव जीत चुके हों। सरकार ने हिसाब लगाया है कि इस फैसले से पांच साल में 80 करोड़ रुपए की बचत होगी, यह राशि सरकार जनकल्याण कार्यों में खर्च करेगी। पंजाब सरकार के फैसले के बाद अब यह मांग उठने लगी है कि क्यों न पंजाब मॉडल अन्य राज्यों में भी लागू कर दिया जाए। इससेसरकार को खजाने पर पड़नेवाला आर्थिक बोझ कम होगा।

पूर्व विधायकों के सम्मेलन में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन की कम होती बैठकों पर चिंता जताई। कहा कि बैठकों में इजाफा होना चाहिए। सदन की गरिमा बनाए रखने, उनके अधिकारों की बात भी की। जिस तरह आमजन का देश की अदालतों पर भरोसा है उसी तरह विधानसभा पर भी होना चाहिए। इसके लिए हमें आचरण में परिवर्तन लाना होगा। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने भी विचार व्यक्त किए।

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