Home राष्ट्रीय मध्य प्रदेश

छत्तीसगढ़ खेल IPL Updates बिजनेस ऑटोमोबाइल टैकनोलजी मनोरंजन #Trending Web Stories
Follow On WhatsApp
Follow On Telegram

Law knowledge: माता-पिता की सेवा ना करने वालों के लिए बना है ये कानून, लगेगा जुर्माना और साथ में होगी 3 महीने की जेल

By Surendra Tiwari

Published on:

---Advertisement---

Law knowledge: अगर किसी बुजुर्ग को उसकी संतान या रिश्तेदार बेसहारा छोड़ देते हैं तो उनके लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, जिनके लिए लोगों को पता नहीं होता है। हालांकि जिन लोगों को इस बारे में पता होता है वह समाज के डर से अपनी संतान के खिलाफ कदम नहीं उठाते, वहीं कुछ लोग उठाना चाहते हैं तो उन्हें सही रास्ता नहीं मिलता।


संतानों से सताए जा रहे बुजुर्गों के लिए एक अलग से कानून बना है, जिसे मैंटिनेंस ऐंड वेल्फेयर ऑफ पैरेंट्स ऐंड सीनियर सिटिजंस ऐक्ट 2007′ नाम से जाना जाता है। 2007 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार यह कानून लाई थी, संसद से पास होने और 29 दिसंबर 2007 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही ये कानून लागू हो गया।


इस कानून के तहत बच्चों व रिश्तेदारों के लिए माता-पिता की देखभाल उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना और उनके रहने-खाने जैसी बुनियादी जरूरतों की व्यवस्था करना अनिवार्य किया गया है, इस कानून के अंतर्गत बुजुर्ग के बेटे-बेटी के साथ-साथ बालिग पोते-पोतियों की भी यह जिम्मेदारी है, फिर वह चाहे सगे हो या फिर सौतेले, उन सभी पर यह लागू होता है जो उसकी संपत्ति के कानूनन हकदार हैं।


अगर बच्चे या रिश्तेदार इस जिम्मेदारी को नहीं निभाते हैं तो उन्हें 3 महीने की जेल तथा 5 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है, खास बात तो यह है कि अगर बुजुर्ग अपनी संपत्ति को उसके नाम कर चुका है और वह उसकी देखभाल नहीं कर रहा है तो ऐसे में संपत्ति का ट्रांसफर रद्द किया जा सकता है, यानी वह बुजुर्ग फिर से अपनी संपत्ति का मालिक हो जाएगा।


इसके अलावा 60 वर्ष से ऊपर के ऐसे शख्स जिनकी कोई संतान नही है, वे भी अपने रिश्तेदारों/अपनी संपत्ति के हकदार से भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं, ऐसे में उन्हें हर महीने 10 हजार रुपये तक का गुजारा-भत्ता मिल सकता है। बस इसके लिए बुजुर्ग को स्थानीय ट्राइब्यूनल में अर्जी देनी होगी,


शिकायत मिलने के बाद ट्राइब्यूनल की तरफ से मामले की सुनवाई की जाती है और जब वह संतुष्ट हो जाता है कि बच्चे या रिश्तेदार उसकी देखभाल करने से इंकार कर रहे हैं या फिर कोई लापरवाही बरत रहे हैं, तो ट्राइब्यूनल उन्हें मासिक गुजारा भत्ते के तौर पर अधिकतम राशि 10 हजार रुपए हर महीने देने का आदेश दे सकता है।

---Advertisement---

Leave a Comment