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1983 World Cup: आज से 40 साल पहले 1983 में भारत बना था वर्ल्ड चैंपियन, दिग्गज टीम वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराया था, ऐसा रहा था मैच

IND vs WI World Cup 1983: आज से ठीक 40 साल पहले भारतीय टीम ने पहली बार बड़ा कीर्तिमान रचा था। जी हां हम बात कर रहे हैं उस समय की जब भारत के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव और उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने पहली बार विश्वकप खिताब जीतकर क्रिकेट में हम किसी से कम नहीं है का नींव रख दिया था। आज 25 जून है और 1983 का विश्वक कप भी इसी दिन था। जिसमें भारत ने उस समय की दिग्गज टीम 2 बार विश्वपक जीतने वाली टीम वेस्टइंडीज को हराकर विश्वकप खिताब अपने नाम किया था। यह ऐतिहासिक मैच लंदन के लॉर्ड्य मैदान पर हुआ था। उस वक्त कोई सोच भी सकता था कि भारत यह अमर इतिहास रचेगा।

भारतीय तिरंगे का मान बढ़ाया इस विश्वकप में

1983 के उस साल को आज भी उतन ही उत्साह से याद किया जाता है। वहीं कपिल देव के नेतृत्व में एक युवा टीम ने लॉर्ड्स के मैदान पर यह यादगार इतिहास रच दिया था। भारत और वेस्टइंडीज के बीच विश्व कप के फाइनल मुकाबले में भारतीय युवा खिलड़ियों ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से हार का स्वाद चखाया था। भारत 1947 में जब आजाद हुआ था उस समय और 1983 का विश्वकप भारतीय तीरंगा के आन, बान शान को उंचा कर दिया था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मैच इस एतिहासिक जीत में भारतीय गेंदबाजी यूनीट ने कमाल का प्रदर्शन किया था, जिसके बाद भारत को यह खिताब हासिल हुआ था। वहीं पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर और भारत के कप्तान कपिल देव का इस जीत में बड़ा योगदान रहा था।

इस तरह भारत ने रचा था इतिहास, कपिल देव ने किया कमाल

1983 के विश्वकप में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी कर रही थी। दुर्भाग्य से भारत ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर मात्र 2 रन के स्कोर पर आउट हो गए। वहीं पूरी टीम 183 रन पर सिमट गई थी। मैच में भारत के श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रनों की पारी खेली थी। दरअसल भारत के लिए मोहिंदर अमरनाथ और श्रीकांत ने इस मैच में टीम की पारी को संभाला था। दोनो बल्लेबाजों ने विंडीज बॉलर्स को आड़े हाथों लिया था।

लेकिन टीम वेस्टइंडीज के लिए 183 रन आसान चेज लग रहा था। लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने इसे आसान रहने नहीं दिया । उस वक्त की सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज को भारत ने लक्ष्य से 43 रन दूर 140 के स्कोर पर ऑलआउट कर विश्वकप खिताब को अपने नाम कर लिया था।

मोहिंदर अमरनाथ और मदन लाल की घातक गेंदबाजी, जानिए दोनों की गेंदबाजी के बारे में

अमरनाथ और मदन ने इस एतिहासिक मुकाबले में एतिहासिक गेंदबाजी का प्रदर्शन किया था। दोनों ने वेस्टइंडीज के 3-3 विकेट लिए थे। इन्हीं दोनों की घातक गेंदबाजी के कारण ही भारत इस मैच को आसानी से जीतने में कामयाब हुआ था।

मदनलाल की जिद्द के बाद जो हुआ, मैच का रुख ही पलट गया

दरअसल इस मैच में मदनलाल को रिचर्ड्स ने तीन चौके जड़ दिए। इसके बावजूद मदन गेंदबाजी करना चाह रहे थे। वहीं कपिल देव उन्हें गेंदबाजी से रोक रहे थे लेकिन मदनलाल ने कपिल देव की एक न सुनी। वे जिद्द कर रहे थे कि वे रिचर्ड्स को आउट करके ही रहेंगे। ऐसा हुआ भी जब कपिल देव गेंदबाज के आगे झुके और उनको गेंदबाजी दी तब मैच पलटा। दरअसल मदनलाल की गेंद पर पीछे भागते हुए कपिल देव ने द ग्रेट विवियन रिचर्ड्स का कैच लपका। इसी के बाद भारत की जीत की उम्मीदें जागी थी। वहीं भारत ने इस एतिहासिक मैच में जीत हासिल कर पहली बार विश्व कप अपने नाम किया था।

उस समय भारतीय टीम की टीम11 ऐसी थी- कपिल देव (कप्तान), सुनील गावस्कर, क्रिस श्रीकांत, मोहिंदर अमरनाथ, यशपाल शर्मा, संदीप पाटिल, कीर्ति आजाद, रोजर बिन्नी, मदन लाल, सैयद किरमानी (विकेटकीपर) और बलविंदर संधू।

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