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Sachin Tendulkar ने दिया DRS और अंपायर कॉल पर दिया बड़ा बयान, ICC नियमों मेंबर सकता है अब बड़ा बदलाव

नई दिल्ली: क्रिकेट प्रेमियों के लिए बड़ी खबर! दरअसल, डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) कई बार किसी न किसी रूप में चर्चे में बना रहता है. बता दें कि साल 2008 में टेस्ट क्रिकेट में इसे जारी किए जाने के बाद DRS को बाद में क्रम अनुसार 2011 और 2017 में ODI और T20 क्रिकेट में जारी किया गया था. बता दें कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के वक्त भी डीआरएस चर्चा के विषय में बना रहा. इसी व्याख्या पर महान और बेहतरीन बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी की उन्हे यह फॉर्मेट क्यों नहीं पसंद है. साथ ही वह इस विषय पर बहुत निराशा भी प्रकट की.

उनका यह कहना है कि- “मैं मौजूदा फॉर्मेट से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं. अगर गेंद स्टंप्स पर लग रही है, तो बल्लेबाज आउट है, और अगर नहीं लग रही तो वह बल्लेबाजी जारी रख सकता है. अगर कोई बल्लेबाज या गेंदबाज ऑन फिल्ड अंपायर के फैसले से नाराज होता है, तभी वह थर्ड अंपायर के पास जाता है. तो फिर वो वापस ऑन फिल्ड अंपायर के फैसले पर क्यों आते हैं? अगर आपने उस रास्ते (टेक्नोलॉजी) पर जाने का फैसला किया है तो उसी पर जाओ. लेकिन, फिलहाल हम इन दोनों चीजों को मिक्स कर देते हैं और मैं इसे पूरी तरह असहमत हूं.”
आपको बता दे की तेंदुलकर ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में ही उस मुद्दे पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि वह अपने खेल के दिनों में डीआरएस लेना पसंद करते थे. उन्होंने कहा की– मैं उन्हें निश्चित रूप से अपनी उंगलियों पर गिन नहीं सकता था (जब उनसे पूछा गया था कि अगर उनके खेलने के दिनों में डीआरएस मौजूद था तो उन्होंने कितनी बार इसका उल्लेख किया होगा). बिना किसी संदेह के मुझे यह पसंद आया होगा. कुछ फैसले अपने पक्ष में आते हैं तो कुछ खिलाफ भी होते हैं.
तेंदुलकर ने आगे यह सलाह दिया कि इंसानों की तरह, तकनीक भी अचूक नहीं है. साथ ही उनका कहना है की कि डीआरएस की शुरुआत से पहले ही अंपायर भारी गलतियां कर रहे थे. उन्होंने कहा- हम केवल तकनीक पर उंगलियां उठा रहे हैं, लेकिन यह सही नहीं है. डीआरएस से पहले भी गलतियां होती थीं. कई बार ऐसा हुआ कि गलत फैसले से मैच या तो हार गए या जीत गए.

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