रीवा ननि परिषद की 13वीं बैठकः मध्य प्रदेश के रीवा जिले के रीवा नगर निगम में इस बार परिषद की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। शहर में कांग्रेस की सरकार हो, लेकिन परिषद में अध्यक्ष भाजपा का और बीजेपी का बहुमत है। इस बार नजारा ही बदला हुआ देखने को मिला। कहते हैं कि रीवा नगर निगम में प्रदेश के मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की धाक चलती है…जो चाहते हैं वही होता है, लेकिन इस बार नहीं हुआ… बहुमत वाली भाजपा के 15 पार्षदों ने बायकॉट कर दिया। बगैर किसी सूचना के सामूहिक रूप से पार्षद बैठक में नहीं आए।
तीन माह बाद हुई नगर निगम परिषद की 13वीं बैठक भी हंगामेदार रही। इसका बहुमत वाली भाजपा के ही 15 पार्षदों ने बायकॉट कर दिया। बगैर किसी सूचना के सामूहिक रूप से पार्षद बैठक में नहीं आए। इसके कारण सदन में भाजपा के पार्षदों का संख्या बल कम हो गया और कांग्रेस के पार्षदों का बहुमत अधिक हो गया।
- ननि परिषद की 13वीं बैठकः हंगामा और शोरशराबा के बीच परिषद के बगैर चर्चा के ही सभी एजेंडे पास
- परिषद का भाजपा के 15 पार्षदों ने किया बायकॉट निर्दलीय पार्षद ने मचाया हंगामा, सदन से निकाला
चर्चा के दौरान वार्ड 13 की निर्दलीय पार्षद नम्रता सिंह ने अपने प्रश्न का जवाब सही नहीं दिए जाने का मामला उठाया। जिस पर स्पीकर व्यंकटेश पांडेय ने कहा कि परिषद कामकाज के नियमों के अनुसार पार्षद के सवाल का जवाब दिया गया है। इस पर यदि असंतुष्टि है तो आयुक्त बाद में जवाब देगे, यह परिषद का हिस्सा नहीं है।
मीडियाकर्मियों के कैमरे बंद कराए गए
जिस दौरान निर्दलीय पार्षद नम्रता और स्पीकर के बीच बहस हो रही थी, उस समय वहां मौजूद मीडियाकर्मी वीडियो रिकार्ड कर रहे थे। इस पर स्पीकर व्यंकटेश पांडेय ने कहा कि सभी मीडियाकर्मियों के कैमरे बंद कराओ और इन्हें भी सदन से बाहर करो। साथ ही परिषद सचिव को निर्देशित किया है कि अब परिषद की कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले मीडियाकर्मियों को पहले पास बनवाना होगा। जिसको अनुमति मिलेगी वही सदन में प्रवेश कर पाएगा। अगली बैठक में व्यवस्था बनाने के लिए निर्देशित किया है। साथ ही पार्षद नम्रता के उग्र तेवर को देखते हुए उन्होंने पुलिस भी बुलाने के लिए निर्देशित कर दिया। हालांकि बाद में कुछ लोगों के कहने पर नम्रता बाहर चली गई।
इस पर पार्षद नम्रता ने आरोप लगाया कि नगर निगम में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। भृत्य और चौकीदारों को अधिकारी बना दिया गया है जिसमें पक्ष-विपक्ष दोनों की मिलीभगत है। लगातार बढ़ते शोर-शराबे और कामकाज में आ रही बाधा का हवाला देते हुए स्पीकर ने पार्षद को सदन की कार्यवाही से निलंबित करते हुए बाहर जाने को कहा। बाहर तो वह चली गई लेकिन वहीं से आवाज लगाती रहीं कि दोनों पक्ष के लोग आपस में मिले हैं, उनके भ्रष्टाचार की पोल खुलने के डर से सदन से बाहर कर दिया है।
महिला पार्षदों में नोकझोंकः
निर्दलीक पार्षद नम्रता सिंह अपनी बात स्पीकर से रख रही थी, इस बीच उन्होंने महापौर पर भी आरोप लगाए। जिसके बाद कांग्रेस की पार्षद नजमा बेगम और रमा दुबे आदि स्पीकर दीर्घा में पहुंच गई और नम्रता से बहस करने लगीं। इस दौरान झूमाझटकी की हालत निर्मित हो गई। धक्का देकर बाहर निकालने का भी प्रयास किया गया। हालांकि कुछ अन्य पार्षदों ने मामले को शांत कराने का प्रयास किया। निगम परिषद में इस तरह के हालात इसके पहले पूर्व महापौर के कार्यकाल में बने थे। उस दौरान भी एक पक्ष में निर्दलीय पार्षद नम्रता सिंह ही थीं, दूसरे पक्ष में तत्कालीन एमआइसी और भाजपा की महिला पार्षद थीं। मामला पुलिस थाने तक पहुंचा था, जिसमें दोनों पक्षों ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
- 15 बिन्दुओं का एजेंडा पास
परिषद में 15 बिन्दुओं का एजेंडा रखा गया। हंगामे की वजह से इस पर कोई चर्चा नहीं हो पाई। सभी बिन्दुओं को सर्व सम्मति से पास कर दिया गया है। इसमें एक बिन्दु शिल्पी कुंज की छत के ऊपरी हिस्से के अंतरण का प्रस्ताव भी आया था। जिस पर कुछ तकनीकी अड़चनों की आशंका जाहिर की गई है। स्पीकर ने आयुक्त से कहा है कि वह तकनीकी पक्षों को भी शामिल करने के बाद आगे की प्रक्रिया अपनाएं।
पार्षद का आरोप, सच बाहर आएगा तो सबकी गर्दन फंसेगी
सदन से बाहर निकाले जाने के बाद पार्षद नम्रता सिंह ने ‘पत्रिका’ को बताया कि उनकी ओर से यह सवाल पूछा गया था कि राजस्व निरीक्षक और सहायक राजस्व निरीक्षकों को प्रभार पर रखा गया है, उन कर्मचारियों के मूल पद क्या हैं। जिस पर नगर निगम की ओर से 21 लोगों की सूची दी गई है. जिसमें भृत्य, चौकीदार और विनियमित कर्मचारी हैं। पार्षद का आरोप है कि इसमें यह नहीं बताया कि किसे क्या प्रभार दिया गया है। यही पूछने पर स्पीकर भडक रहे हैं। महापौर जब पार्षद थे तब किस तरह जनता के हमदर्द बनने का दिखावा करते हुए परिषद में तमाशा करते थे, सभी को पता है। यही बोलने पर बाहर कर दिया गया है। नगर निगम में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए चौकीदार- भृत्यों को अधिकारी की कुर्सी दी गई है। इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों की मिलीभगत है। जांच हो जाए तो पूरे मामले का खुलासा हो सकता है।
शहर से दूर पिकनिक मनाते दिखे भाजपा के पार्षद
भाजपा के 15 पार्षद बैठक में नहीं आए। इनकी पूर्व से ही बैठक में नहीं जाने की तैयारी थी। जब शहर में बैठक हो रही थी, उस दौरान उक्त पार्षद शहर से दूर गोविंदगढ़ जाकर पिकनिक मनाते नजर आए। जहां से पपरा पहाड़ में स्थित हनुमान मंदिर में सभी ने दर्शन किया और एक फोटो भी वहां की वायरल कर यह संदेश दिया है कि वह सभी एकजुट हैं। भाजपा पार्षद दल के नेता दीनानाथ वर्मा के नेतृत्व में गए इन पार्षदों ने नगर निगम प्रशासन पर अपनी बात नहीं सुनने का आरोप लगाया है। परिषद अध्यक्ष से भी वह अपनी बात कई बार रख चुके हैं लेकिन उनकी ओर से भी बातें नहीं सुनी गई, जिसकी वजह से बैठक में नहीं जाने का निर्णय लिया है। इन पार्षदों ने तय किया है कि उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला से भी मिलेंगे, क्योंकि कुछ समय पहले उन्होंने भी बैठक लेकर हर वार्ड की कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया था। वहीं एमआईसी सदस्य धनेन्द्र सिंह बघेल ने कहा है कि परिषद अध्यक्ष के खिलाफ उनके ही दल के पार्षदों ने बगावत की है, इसलिए उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
- परिषद में जो एजेंडे लाए गए वह सर्वसम्मति से पास हो गए हैं। भाजपा के 15 पार्षद बैठक में नहीं आए। स्पीकर के प्रति उनकी असंतुष्टि और टकराव की बात सामने आ रही है। यह उनका अपने दल का अंदरूनी मामला है। निर्दलीय पार्षद का हंगामा अनावश्यक था, उनके सवालों का जवाब दिए जाने के बाद भी शोरशराबा किया।
अजय मिश्रा, महापौर रीवा - परिषद कार्यवाही का निर्धारित नियम है। निर्दलीय पार्षद के सवाल का जवाब दिया गया था, उस पर हमने आयुक्त से कहा है कि यदि वह असंतुष्ट हैं तो उनकी बातें सुनें। हंगामे की वजह से कार्यवाही में बाधा आ रही थी, इसलिए उन्हें एक दिन के लिए निलंबित करना पड़ा। जहां तक कुछ पार्षदों के नहीं आने की बात है, तो ऐसा अधिकांश बैठकों में होता है।
व्यंकटेश पांडेय, स्पीकर नगर निगम रीवा