Medical system in bad condition in Madhya Pradesh: रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शुरू होने के चार साल बाद भी विंध्य क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। इसकी बड़ी वजह अस्पताल में विशेषज्ञों और चिकित्सकों की भारी कमी है। अधिकांश पद खाली होने से मौजूदा चिकित्सकों पर भी काम का अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।
- सुपर स्पेशलिटी अस्पताल : चार साल बाद भी पद के अनुसार चिकित्सकों नहीं हो सकी पदस्थापना
- विशेषज्ञों के 80 पद खाली: विंध्य के मरीज बेहतर चिकित्सा सुविधा से वंचित
नर्स के पदों पर भी पूरी पदस्थापना नहीं : अस्पताल में नर्स के पदों पर भी पूरी पदस्थाना नहीं है। स्वीकृत पद के हिसाब से नर्स अस्पताल में पदस्थ नहीं हैं। अस्पताल में नर्सिंग आफीसर के 150 पद हैं जिसमें 124 पदों पर ही पदस्थापना है। 26 पद खाली पड़े हैं। वहीं सीनियन नर्स के 30 पद हैं जिसमें 22 पद भरे हैं। अन्य पद खाली पड़े हैं।
Medical system in bad condition in Madhya Pradesh: सुपर स्पेशलिटी अस्पताल 2020 से शुरू हुआ था। उस समय अस्पताल में चिकित्सक के 100 पद स्वीकृत किए गए थे लेकिन किसी भी विभाग में स्वीकृत पद के हिसाब से पदस्थापना नहीं हो सकी। वर्तमान में चिकित्सकों के 80 पद खाली हैं जिसका असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। अस्पताल में कार्डियो, न्यूरो सहित कई विभाग संचालित हैं जिसमें प्रतिदिन बड़ी संया में मरीज उपचार करवाने के लिए आते हैं, जिसमें ज्यादातर गंभीर होते हैं। इनके इलाज के लिए विशेषज्ञों की कमी गंभीर समस्या बनी हुई है। चार साल बाद भी अस्पताल में इलाज की सुविधाएं बेहतर स्थिति तक नहीं पहुंच सकी है।
चिकित्सकों के इस्तीफे के बाद बिगड़ी स्थिति
सुपर स्पेशलिटी में चिकित्सकों के इस्तीफे के बाद हालात बिगड़ गए हैं। अस्पताल से अभी तक कई डॉक्टर्स ने इस्तीफा दिया है जिसके पीछे संसाधनों को कारण माना जा रहा है। इनमें कार्डियो से डा. हिमांशू गुप्ता, डा. अंकित सिंह, डा. लल्लन प्रताप, डॉ. प्रदीप कुर्मी, हार्ट सर्जरी डॉ. सुमित प्रताप सिंह शामिल हैं। दो अन्य चिकित्सक डॉ. राकेश सोनी व डॉ. रोहन द्विवेदी ने भी सेवा से त्याग पत्र दे दिया था लेकिन बाद में उन्होंने वापस ले लिया जिससे मरीजों को अभी उपचार मिल रहा है।
अस्पताल 2020 से चल रहा है और उस समय 100 पद चिकित्सक के स्वीकृत थे। वर्तमान में 80 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है और 20 में पदस्थापना है। मौजूदा संसाधनों से बेहतर उपचार देने प्रयास किया जा रहा है।
डा. अक्षत श्रीवास्तव, अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
विभागों में पद और पदस्थ चिकित्सकों की स्थिति
रेडियो डायग्नोसिस चिकित्सक विहीन, नेफ्रोलाजी में एक चिकित्सक
अस्पताल के रेडियो डायग्नोसिस की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यह विभाग कैंसर रोग से पीड़ित मरीजों के उपचार में मदद करता है लेकिन स्थिति यह है कि अस्पताल में यह विभाग पूरी तरह से चिकित्सक विहीन है और एक भी डाक्टर पदस्थ नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को इलाज भी नहीं मिल पाता है। कैंसर बीमारी से पीड़ित मरीजों को कई बार बाहर जाने की स्थिति बन जाती है।
अमूमन यही स्थिति नेप्रोलाजी में भी है। इस विभाग में सिर्फ डाक्टर पदस्थ है और यदि वे छुट्टी में चले जाएं तो विभाग चिकित्सक विहीन हो जाता है। वहीं न्यूरोलाजी की बात करें तो इसमें सिर्फ दो चिकित्सक पदस्थ है जबकि इस विभाग में मरीजों की संया काफी ज्यादा होती है।