प्रयागराज / (शाहिद नकवी)। हिंदू पौराणिक कथाओं से गहरे जुड़ाव के कारण, महाकुंभ मेला प्रतिभागियों के लिए अपने पापों की क्षमा मांगने तथा मोक्ष या आध्यात्मिक मुक्ति की आकांक्षा रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है।
कुंभ मेले का इतिहास हज़ारों साल पहले प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। यह समुद्र मंथन (सागर मंथन) की पौराणिक कथा से गहराई से जुड़ा हुआ है, जिसके दौरान अमरता के अमृत की बूँदें चार स्थानों पर गिरी थीं: प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन।
महाकुंभ मेले को दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसमें भारत और विदेश से तीर्थयात्री गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज आते हैं।इसी लिए इस बार महाकुंभ 2025 की भव्य तैयारियों के अंतर्गत भारतीय रेलवे ने प्रयागराज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक छवि को निखारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
“पेंट माई सिटी” अभियान के तहत प्रयागराज के सभी रेलवे स्टेशनों, जैसे प्रयागराज जंक्शन, नैनी जंक्शन, फाफामऊ, प्रयाग जंक्शन, झूंसी रेलवे स्टेशन, रामबाग रेलवे स्टेशन, छिवकी रेलवे स्टेशन, प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन और सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन, को कला और संस्कृति के अद्भुत केंद्रों में परिवर्तित कर दिया गया है।
इन स्टेशनों की दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं और भारतीय परंपराओं को चित्रित करने वाले भव्य और आकर्षक कलाकृतियां बनाई गई हैं।रामायण, कृष्ण लीला, भगवान बुद्ध, शिव भक्ति, गंगा आरती और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर आधारित ये कलाकृतियां श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्रयागराज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर से परिचित कराती हैं।
रेलवे की यह पहल केवल सौंदर्यीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रयागराज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं को भी दर्शाती है।इन कलाकृतियां में ऋषि परंपरा, गुरु-शिष्य परंपरा, ज्ञान और त्याग के महत्व को दिखाया गया है, जो प्रयागराज के आध्यात्मिक स्वरूप को और भी उजागर करते हैं। ये कलाकृतियाँ महाकुम्भ 2025 के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
भारतीय रेलवे का यह प्रयास कला और विकास का संगम प्रस्तुत करता है। यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि महाकुम्भ 2025 में प्रयागराज आने वाले हर व्यक्ति को न केवल भव्य आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिले, बल्कि वे इस शहर की गहराई और इसकी सांस्कृतिक जीवंतता को भी महसूस कर सकें।
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं से टोल नहीं वसूला जाएगा
महाकुंभ 2025 के दौरान 13 जनवरी से 26 फरवरी के दौरान 45 दिन तक चित्रकूट राजमार्ग पर उमापुर टोल प्लाजा, रीवा राजमार्ग पर गन्ने टोल, मीरजापुर मार्ग पर मुंगारी टोल, वाराणसी मार्ग पर हंडिया टोल, कानपुर मार्ग पर कोखराज टोल, लखनऊ राजमार्ग पर अंधियारी टोल, अयोध्या राजमार्ग पर मऊआइमा टोल पर श्रद्धालुओं के वाहनों से टोल नहीं लिया जाएगा।
उन्हीं भारी वाहनों से टोल टैक्स लिया जाएगा, जो कामर्शियल हैं और उन पर माल लदा होगा। उदाहरण के तौर सरिया, सीमेंट, बालू, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रानिक्स समेत अन्य सामान जिन ट्रकों अथवा वाहनों पर लदे होंगे, उनसे टोल लिया जाएगा। *सभी तरह के जीप-कार से टोल नहीं लिया जाएगा, चाहे उनका कामर्शियल में ही पंजीयन होगा।
इस बार भी महाकुंभ मेला के दौरान निजी वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं से टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह छूट पूरे महाकुंभ की अवधि तक रहेगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुंभ 2019 में भी टोल टैक्स नहीं लिया गया था।