PWD REWA: लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की जांच को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका आकलन रीवा में विभाग के मुख्य अभियंता के एक पत्र से किया जा सकता है। दरअसल लोकायुक्त में लोनिवि के जिन अधिकारियों के विरुद्ध जांच चालू हो गई है, उन्हीं अधिकारी से आरोपों से जुड़े दस्तावेजों और स्वयं के काले कारनामों पर अभिमत के साथ प्रतिवेदन देने को कहा गया है।
- संभाग क्रमांक-1 के कार्यपालनयंत्री और एसडीओ के खिलाफ लोकायुक्त में जांच शुरू
- अभिमत और प्रतिवेदन दें ताकि वरिष्ठ कार्यालय भेज सकें
मामला लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक-1 के कार्यपालनयंत्री और उन्हीं के नीचे काम करने वाले एसडीओ से जुड़ा है। अब इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरोपों में घिरे ईई और एसडीओ क्या खेल खेलेगें।
विभागीय सूत्रों ने जानकारी दी है कि लोक निर्माण विभाग रीवा के संभाग क्रमांक 1 में पदस्थ कार्यपालन यंत्री मनोज कुमार द्विवेदी और प्रभारी एडीओ ओंकारनाथ मिश्रा के खिलाफ कई करोड़ के फर्जी भुगतान और उससे संबंधित कूटरचित पत्र बनाकर खनिज विभाग की रायल्टी की लाखों रपए की राशि हजम करने के मामले की विभागीय जांच के साथ लोकायुक्त भी जांच कर रहा है।
रायल्टी में हेराफेरी करने का मामल सतना जिले की सडको से जुड़ा है, जिसमें कलेक्टर खनिज शाखा का फर्जी पत्र इस्तेमाल किया गया था। ये मामला मनोज कुमार द्विवेदी कार्यपालनयंत्री और प्रभारी एसडीओ ओंकारनाथ मिश्रा पर लगे भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
अभिमत और प्रतिवेदन दें ताकि वरिष्ठ कार्यालय भेज सकें
जिस पत्र को लेकर जांच पर शंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं, वह पत्र कार्यालय मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग रीवा द्वारा 4 नवम्बर को ईई कार्यालय को भेजा गया है। पत्र क्रमांक-3533/सर्त./ शि./रीवा/1-70/2024 में मुख्य अभियंता ने कार्यपालनयंत्री को लेख फाइल फोटो किया है कि विभाग कार्यालय के द्वारा चाही गई जानकारी का भी पत्र शामिल है। ।
उक्त पत्र में प्रकरण क्रमांक नि/0290, 90/ई/2024-25 विरुद्ध मनोज कुमार द्विवेदी कार्यपालन यंत्री संभाग क्र. 1 एवं ओंकार नाथ मिश्रा प्रभारी एसडीओ को लेकर बिंदु 1.1 से 1.17 तक की संपूर्ण जांच कर तथ्यात्मक प्रतिवेदन, स्पष्ट अभिमत एवं सुसंगत अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां तीन दिवस में कार्यालय मुख्य अभियंता के वरिष्ठ कार्यालय से आए पत्रों में लोकायुक्त रीवा को उपलब्ध कराएं, ताकि वरिष्ठ कार्यालय भोपाल भेजा जा सके। हालांकि इसके पहले भी एक पत्र दिया गया था, जिसमें 15 दिनों में प्रतिवेदन चाहा गया था।
अपने गले में कैसे फंदा डालें ईई
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता संजय खांडे को कदाचित यह मालुम नहीं है कि जिससे जांच में प्रमाणित दस्तावेज मुहैया कराने को कहा जा रहा है, वह अधिकारी कैसे अपने गले में फंदा डाल सकता है। लेकिन वे भोपाल लोकायुक्त के हवाले से आने वाले रिमाइंडर की तरह सीई भी पत्र पर पत्र भेजे जा रहे हैं।
विभाग के पास अधीक्षण अभियंता भी हैं, जिनका ओहदा कार्यपालन यंत्री से ऊंचा होता है, लेकिन चीफ इंजीनियर कार्यपालन यंत्री मनोज कुमार द्विवेदी से ही प्रतिवेदन लेने पर अड़ गए हैं। यानि जिस कार्यपालन यंत्री के गंभीर आरोपों की लोकायुक्त जांच कर रहा है, सीई संजय खांडे उसी ईई से अपने खिलाफ सबूत देने को कह रहे हैं।